आरति श्री रामायण जी की ।कीरति कलित ललित सिय-पी की ॥ आरति……गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद ।बालमीक बिज्ञान बिसारद ॥सुक सनकादि शेष अरू सारद ।बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥ आरति……गावत वेद पुरान अष्टदस ।छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥सार अंस सम्मत सबही की ॥ आरति……गावत संतत संभु भवानी ।अरू घटसंभव मुनि बिग्यानी ॥व्यास आदि कविबर्ज बखानी ।कागभुसुंडि गरूड़ के ही की ॥ आरति……कलिमल हरनि विषय रस फ़ीकी ।सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ॥दलन रोग भव मूरि अमी की ।तात मात सब बिधि तुलसी की ॥ आरति……
Monday, March 16, 2009
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